नदी की आत्मकथा हिंदी निबंध | Nadi ki Atmakatha in Hindi Essay |

 नदी की आत्मकथा हिंदी निबंध | Nadi ki Atmakatha in Hindi Essay |

दोस्तों आज  वालों को nadi ki atmakatha in hindi बताने वाला हूं अपनी पढ़ाई के लिए नदी की आत्मकथा इस्तेमाल कर सकते हैं और अगर आप परीक्षा की तैयारी करना चाहते हैं तो भी आप पढ़ सकते हैं मैंने आपको नदी की आत्मकथा पूरी बताई हुई है  इस लेख में मैंने आपको नदी की आत्मकथा हिंदी निबंध बताया है कि नदी को क्या क्या दिक्कत आती है और नदी हमारे बारे में क्या विचार रखती होगी यह एक वैचारिक दृष्टिकोण से मैंने आपको  बताया है


nadi ki atmakatha in hindi | नदी की आत्मकथा हिंदी निबंध

मैं नदी बोल रही हूं मेरा जन्म हिमालय की ऊंची पर्वतों में हुआ है और मेरा पिता हिमालय है और मैं जैसे ही हिमालय से जलनेति मेरा सिर्फ एक ही लक्ष्य होता है 

कि समुद्र की ओर चले जाना समुद्र की ओर जाते हुए मुझे कई सारी हरी-भरी घाटियां बर्फ से ढकी चादर और बड़े से बड़े पर्वत और उन में बनी हुई खाई से में गुजरती हूं मैं जब तक समुद्र तक पहुंची नहीं तब तक मैं कहीं भी व्यक्ति नहीं हूं जाते वक्त में बहुत सारे किसानों को उनकी फसल के लिए लगने वाला पानी का साधन बनती हो उस पानी की वजह से किसानों के रोग विकसित होते हैं.

और उनसे किसानों को भी बहुत सुकून मिलता है और मुझको भी ऐसे ही मैं किसानों के खेत में जो सब्जी आते हैं उन सब जी को भी मैं पानी देकर किसानों का पेट भरने में मदद करती हूं पर इसके साथ साथ जो आम लोग होते हैं .

वह मेरा इस गुण का गलत फायदा भी उठाते हैं मुझे गंदा करते हैं मेरे शुद्ध पानी में प्रदूषित पानी को मिलाकर मुझे पूरी तरीके से गंदा करते हैं और मुझे सांस तक नहीं लेने देते और कई जगह तो मुझे इतना गंदा कर दिया जाता है कि मेरा पानी पीने लायक नहीं रहता और इसी वजह से मैं ना चाहते हुए भी मेरी इस गंदे पानी की वजह से मेरे अंदर जो जीव सृष्टि पड़ती है.

वह जो सृष्टि खत्म होने के कगार पर आ जाती है मछलियां सांस नहीं ले पाती इसी वजह से मुझे इंसानों से बहुत डर लगता है इंसान मुझे गंदा करते हैं पर कई जगह मुझे इंसानों की वजह से बहुत अच्छा लगता है कि जैसे अगर मेरा पानी का उपयोग किसी सूखे पढ़े हुए इलाके में ले जाकर वहां पर नहीं जीवन सुस्ती बनाने में इस्तेमाल होता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है.

मुझे सरिता इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह इतना शोर करती है।  मैं वह हूं जो निरंतर बह रहा है।  साथ ही, दो किन्नरों के बीच के किनारों को तातिनी और क्षिप्रा कहा जाता है क्योंकि चलने की गति अपने आप बढ़ जाती है।  सामान्य शब्द नहर और नहर या नदी। 

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